भारत और चीन के बीच चल रही बातचीत के आठवें दौर के बाद खबर है कि चीनी सेना पैंगोंग झील के फिंगर 8 पर वापस जाने के लिए तैयार हो गई है। इंडियन एक्सप्रेस के अनुसार चीन ने पेशकश की है कि झील के दक्षिणी तट पर दोनों देशों की सेनाएं अपनी अप्रेल से पहले की पुरानी स्थिति पर वापस चली जाएंगी। इस पेशकश में टैंकों तथा तोपखाने की वापसी भी शामिल है। हालांकि इस आशय का समझौता हुआ नहीं है, पर इस पेशकश से जुड़ी बारीकियों पर भारतीय पक्ष में विचार किया जा रहा है। इसके अलावा लद्दाख में टकराव के दूसरे इलाकों पर भी विचार किया जा रहा है।
प्रस्ताव के अनुसार फिंगर 4 से 8 के बीच एक अस्थायी गश्त-विहीन क्षेत्र बनाया जाएगा। दोनों देशों के बीच अभी तक असहमति इस बात पर थी कि भारत चाहता था कि सेनाएं अप्रेल पूर्व की स्थिति पर वापस जाएं और चीन इसपर तैयार नहीं था, खासतौर से झील के उत्तरी तट पर।
भारतीय सूत्रों के अनुसार भारत की लेह स्थित 14वीं कोर के
कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल पीजीके मेनन और चीन के दक्षिण शिनजियांग सैनिक क्षेत्र के
कमांडर मेजर जनरल ल्यू लिन के बीच 6 नवंबर को चुशूल में आठवें दौर में अकेले आमने-सामने
की चर्चा में यह बात निकल कर आई।
अभी तक सात दौर की वार्ता में पूरी टीम शामिल होती थी, पर 6
नवंबर को केवल कमांडरों की बातें हुईं। बहरहाल अभी समझौता कोई नहीं हुआ है और
कमांडरों की बातचीत भविष्य में भी हो सकती है। यदि कोई समझौता हुआ भी तो हरेक काम
पुष्टि करके ही होगा।
यदि समझौता हुआ, तो सेना की वापसी तीन चरणों में कराई जाएगी जो एक सप्ताह तक चलेगी। तीन चरणों में
पैंगोंग झील इलाके को पहले हफ्ते में खाली किया जाएगा और तमाम टैंक और सैनिकों को
वापस भेजा जाएगा। दूसरे चरण में दोनों देश पैंगोंग इलाके के पास से प्रतिदिन 30
फीसदी सैनिकों को हटाएंगी, तीन दिनों तक यह प्रक्रिया जारी
रहेगी।
चीनी सेना फिंगर 8 के पास वापस लौटेगी, तो वहीं भारतीय सेना
अपनी धान सिंह थापा पोस्ट पर आएगी जैसा इस साल के आरंभ में था। इस प्रक्रिया के
तीसरे स्टेप में दोनों ही सेनाएं पैंगोंग झील इलाके के साउथ क्षेत्र से अपनी
सैनिकों को हटाएंगी। साथ ही चुशूल, रेजांग ला की जिन पहाड़ियों पर
तनाव के वक्त कब्जा किया गया था, उन्हें खाली किया जाएगा। इस पूरी
प्रक्रिया की दोनों ही सेनाएं निगरानी करेंगी, जिसपर सहमति बन चुकी
है।
तीसरे चरण में दोनों सेनाएं पैंगोंग झील इलाके के दक्षिणी इलाके से अपनी
सैनिकों को हटाएंगी। साथ ही चुशूल, रेजांग ला की जिन पहाड़ियों पर
तनाव के वक्त कब्जा किया गया था, उन्हें खाली किया जाएगा। इस कब्जे
के कारण भारत की स्थिति इस इलाके में मजबूत हुई थी। इस पूरी प्रक्रिया की दोनों ही
सेनाएं निगरानी करेंगी, जिसपर सहमति बन चुकी है।
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