इमरान
ख़ान के ख़िलाफ़ कराची में विपक्ष का जलसा, कुछ
बदलेगा?
पाकिस्तान में
इमरान ख़ान की सरकार के ख़िलाफ़ 11 पार्टियाँ संयुक्त मोर्चे पीडीएम (ऑल पार्टीज़
डेमोक्रेटिक मूवमेंट) के तहत गुजरांवाला में हुए पहले बड़े प्रदर्शन के बाद रविवार
को कराची के जिन्ना-बाग़ में जलसा कर रही हैं. इस रैली में शामिल होने मरियम नवाज़, बिलावल भुट्टो समेत अन्य कई नेता पहुंचे हैं. मरियम नवाज़
पूर्व प्रधानमंत्री नवाज़ शरीफ़ की बेटी हैं और बिलावल भुट्टो पूर्व प्रधानमंत्री
बेनज़ीर भुट्टो के बेटे हैं. मरियम नवाज़ हवाई मार्ग से कराची पहुँचीं और
पाकिस्तान के संस्थापक मोहम्मद अली जिन्ना की मज़ार पर भी गईं.
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ग्यारह जमाती हुकूमत मुख़ालिफ़ इत्तिहाद, पीडीएम का जलसा कराची के जिनाह बाग़ में मुनाक़िद हुआ और इस मौके़ पर मर्यम नवाज़ ने कहा कि हम हलफ़ की पासदारी करने वाले फ़ौजीयों को सलाम करते हैं लेकिन जो अवाम के वोटों को बूटों के नीचे रौंदता है उसे सलाम नहीं करते।
इस जलसे से पीटीएम के मुहसिन दावड़, डाक्टर अबदुलमालिक बलोच, महमूद ख़ान अचकज़ई और अख़तर मीनगल समेत दीगर सयासी रहनुमाओं ने भी ख़िताब किया।
पाकिस्तान
मुस्लिम लीग नवाज़ की नायब सदर मर्यम नवाज़ ने अपने ख़िताब में वज़ीर-ए-आज़म इमरान ख़ान
को शदीद तन्क़ीद का निशाना बनाया। इन्होंने गुज़शता रोज़ की तक़रीर का हवाला देते
हुए कहा कि 'अभी तो एक ही जलसा हुआ और तुम घबराना शुरू हो
गए बल्कि अपने होश-ओ-हवास भी खो बैठे हो।
इन्होंने
वज़ीर-ए-आज़म के नाम पैग़ाम में कहा कि हम जानते हैं कि आप दबाव में हैं लेकिन अगर
नहीं जानते कि दबाव और प्रेशर में वक़ार कैसे बरक़रार रखा जाता है तो अपने साथियों
से मश्वरा कर लेते।
मर्यम नवाज़ ने
कहा कि फ़ौज हमारी है, हम सबकी है। लेकिन नवाज़
शरीफ़ ने ये ज़रूर किया कि इन्होंने किरदारों और इदारों के दरमयान एक वाज़िह लकीर
खींच दी है।
जिन्होंने अपने
बेटे क़ुर्बान किए हैं उन्हें नवाज़ शरीफ़ मर्यम और पीडीएम सलाम पेश करते हैं। लेकिन जो अवाम के
वोटों को बूटों के नीचे रौंदता है हम उसे सलाम नहीं करते।
मर्यम नवाज़ ने
कहा कि नवाज़ शरीफ़ कहते हैं कि 'सियासत में दख़ल अंदाज़ी मत
करो तो क्या वो ग़लत कहते हैं। वो कहते हैं कि अवामी मैंडियट की इज़्ज़त करो। क्या वो
ग़लत कहते हैं। अगर वो कहते हैं कि हलफ़ की पासदारी करो तो इस में क्या ग़लत कहना
है।
मर्यम नवाज़ ने
वज़ीर-ए-आज़म की जानिब से ख़ुद को 'नानी कहने पर भी तबसरा
किया और कहा कि वो एक नहीं दो बच्चों की नानी हैं और ये एक बहुत मुक़द्दस और
ख़ूबसूरत रिश्ता है। 'आपने मेरी नहीं इस
मुक़द्दस रिश्ते की तज़लील की है।
इन्होंने कहा कि 'बिलावल आओ मिलकर ये वाअदा करें कि मुख़ालिफ़त में इतने आगे नहीं जाएंगे जितने इमरान ख़ान और उनके तर्जुमान गए हैं। हम एक दूसरे की इज़्ज़त करेंगे।
जमहूरीयत को
समझना है, ये इक़तिदार की लड़ाई नहीं
बिलावल भुट्टो ज़रदारी ने अपने ख़िताब के आग़ाज़ पर सानिहा कारसाज़ का ज़िक्र किया और जानें खोने वालों को ख़िराज-ए-तहिसीन पेश किया और अपनी वालिदा बेनज़ीर का ज़िक्र किया और कहा कि वो अपनी ज़ात और अपनी बहादुरी में बेनज़ीर थीं। ना वो डरीं और ना उन्होंने अवाम का साथ छोड़ा।
उनका कहना था कि 'हमें इस ग़म को अपनी ताक़त में बदलना है जिस तरह मुहतरमा
बेनज़ीर भुट्टो ने ज़ोलफ़कार अली भुट्टो के अदालती क़तल को ताक़त में बदला। मैं 'अवाम के दरमयान रहूँगा मुझे धमाकों से नहीं डराया जा सकता… हम पर शुहदाए
जमहूरीयत का क़र्ज़ है और वो क़र्ज़ हमने अदा करना है। मुझे इन्क़िलाब की चाप सुनाई
दे रही है।
अदालिया पर दबाव
है, मीडिया पर ताला है और पार्लीमान में बोलने की
इजाज़त नहीं है। हमें आज जमहूरीयत के फ़लसफ़े पर बात करनी है। जमहूरीयत को समझना है।
जब भी जमहूरीयत पर शब-ख़ून मारा जाता है तो मलिक का हर शहरी उस की ज़द में आता है।
मौलाना फ़ज़ल
अलरहमान ने अपने ख़िताब में कहा कि कराची से हमने आज़ादी मार्च का आग़ाज़ किया और आपने
ख़ुलूस से हमारा साथ दिया। हमें डराया धमकाया गया और आज भी हम अपने मौक़िफ़ पर क़ायम
हैं। उनका कहना था कि हम कठ-पुतली हुकूमत के हाथ पर बैअत नहीं करेंगे
’रात आठ बजे ख़्वाजा आसिफ़ ने जनरल बाजवा को फ़ोन किया कि मैं हार रहा हूँ तो बाजवा साहिब ने जितवा दिया उस का ख़्याल नहीं आया कि मैं उन्हीं के हाथों से धांदली का एतराफ़ किया। बाजवा साहिब आप हमारे लिए काबिल-ए-एहतिराम हैं लेकिन बेवक़ूफ़ दोस्त से बचने की कोशिश तो करते।
आज़ाद सिर्फ़ आईन
तोड़ने वाले हैं
अपने ख़िताब में
बलोचिस्तान नेशनल पार्टी मीनगल ग्रुप के सरबराह अख़तर मीनगल का कहना था कि इस
मुल्क में आज़ाद सिर्फ़ आईन तोड़ने वाले हैं। इन्होंने कहा कि 'ट्रैफ़िक सिगनल तोड़ने पर जुर्माना होता है मुल्क में कई
मर्तबा आईन तोड़ा गया लेकिन कभी कुछ नहीं हुआ।
’अय्यूब,
मुशर्रफ़ को ग़ाज़ी
कहा जाता है लेकिन जिन्होंने ख़ून दिया इस धरती के लिए उन्हें ग़द्दार कहा जाता है।
ये मुल़्क, इस मुल्क में बसने वाली अवाम के लिए बनाया गया
है या कंटोनमैंट के लिए बनाया गया है।
इन्होंने कहा कि 'हम साहिल को बचाने की कोशिश कर रहे थे अब सिंध के जज़ीरों
पर क़बज़ा करने की कोशिश हो रही है। आप क़बज़ा गीर हैं। चाहे साहिल कितना भी छोटा हो
हम इस पर क़बज़े की इजाज़त नहीं देंगे
इन्होंने कहा कि
बलोचिस्तान इस खित्ते में वो बद-बख़्त इलाक़ा है जहां आपको इजतिमाई क़ब्रें
मिलेंगी। ये वो इलाक़ा है जिसमें कराची यूनीवर्सिटी के तलबा के एफ़सी के अहलकार ने
हाथ पैर बांध दिए। माँ के सामने उसे गोलियां मार दी गईं।
हमारी माओं, बहनों को पता चलता है कि हस्पताल में एक मस्ख़शुदा लाश लाई
गई है वो जब वहां पहुँचती हैं तो तशद्दुद ज़दा लाशों को कपड़ों से पहचानती हैं। ये
है इस्लामी पाकिस्तान।
पश्तूनख़वा मिली
अवामी पार्टी के सरबराह महमूद ख़ान अचकज़ई ने कहा कि जो भी आईन को मुअत्तल करता है
वो सज़ा-ए-मौत का हक़दार है
इन्होंने
पाकिस्तानी एजेंसियों के हवाले से बात की और कहा कि उन्हें हमसे वाअदा करना होगा
कि वो आईन के दायरे में रहेंगी। इन्होंने बलोचिस्तान, वज़ीरस्तान और स्वात में हालात की ख़राबी का तज़किरा किया।
रुकन क़ौमी असैंबली मुहसिन दावड़ ने कहा कि गुजरांवाला जलसे में तक़रीर के दौरान साबिक़ वज़ीर-ए-आज़म ने जो इल्ज़ामात आइद किए उनकी तहक़ीक़ात होनी चाहिए थी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। हम आपसे मुतालिबा करते हैं कि आप आज ही ऐलान करें कि सन 1947 से अब तक जो हुआ है हम उस के लिए एक ट्रूथ कमीशन बनाते हैं। जो आपने इल्ज़ामात लगाए उस की भी तहक़ीक़ात करें जो मियां साहिब ने इल्ज़ामात लगाए उनकी भी तहक़ीक़ात करें।
इन्होंने कहा कि
इमरान ख़ान ने मौजूदा आर्मी चीफ़ पर लगे इल्ज़ामात की तहक़ीक़ात करने की बजाय मज़ीद
जरनैलों को भी इस में शामिल कर दिया और ये वज़ाहत नहीं की कि जो इल्ज़ामात लगे
उनमें कितनी सदाक़त है।
उनके बाद जलसे से
ख़िताब में नेशनल पार्टी के सरबराह डाक्टर अबदुल मालिक बलोच ने लापता अफ़राद की
बाज़याबी का मुतालिबा एक-बार फिर दुहराया। उनका ये भी कहना था कि पंजाब की यूनिवर्सिटियों
में बलोच तलबा का कोटा ख़त्म कर दिया गया है जिस हर हमारे नौजवान लांग मार्च कर
रहे हैं। इन्होंने कहा कि बलोच तलबा के साथ ये नाइंसाफ़ी बाइस-ए-शर्म है।
मुत्तहदा
मजलिस-ए-अमल के रहनुमा उवैस नूरानी ने कहा कि आने वाला साल इलेक्शन का साल होगा।
उनका कहना था कि इस इत्तिहाद का एजंडा दरअसल वोट का तहफ़्फ़ुज़ है। इन्होंने
इल्ज़ाम आइद किया कि हुकूमत की जानिब से ग्रीन लाईन मंसूबे को इसलिए रोका गया कि
इस पर नवाज़शरीफ़ की तख़्ती लगी थी
कुछ हो रहा है लग रहा है बहुत दिनों से पकिस्तान चीन हो गया था अब वापस वेताल फ़िर पेड़ पर :)
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