ऐसा लगता है कि आरुषी मामले में मीडिया ने तलवार परिवार को दोषी मान लिया है।बेशक इस मामले को जटिल और विकृत बनाने में पुलिस और सीबीआई की भूमिका सबसे बड़ी है, पर मीडिया को रिपोर्ट करते वक्त समझदारी से काम भी करना चाहिए।
खासतौर से न्यायिक प्रक्रिया को समझना चाहिए। मीडिया ने जेसिका लाल, प्रियदर्शिनी मट्टू और रुचिका मामले मे अतिशय उत्साह दिखाया। पर इन केसों को तार्किक परिणति तक पहुँचाने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की है। मीडिया की दिलचस्पी उच्च वर्ग में ज्यादा रहती है। बिहार के बथानी टोला मामले में उसका उत्साह वैसा नहीं है जैसा आरुषी मामले में है।
हाल में स्टार न्यूज़ पर एक कार्यक्रम इस सामले की तफतीश को लेकर था। इसमें कुछ स्थितियों को रिकंस्ट्रक्ट या नाटकीय प्रस्तुति की गई थी। उसमें किसी पर आरोप नहीं थे, पर मीडिया ट्रायल तो वह था। बहरहाल आरुषी मामले को लेकर फर्स्ट पोस्ट में एक रपट प्रकाशित हुई है, जिसमें सीबीआई अदालत के पास के माहौल को दिखाने की कोशिश की गई है। उसके विचारणीय अंश नीचे दिए हैं। इसके साथ सीएनएन-आईबीएन पर चली चर्चा भी सुनें। फिर विचार करें कि क्या मीडिया का रोल इससे बेहतर हो सकता था। खासतौर से न्यायिक प्रक्रिया को समझना चाहिए। मीडिया ने जेसिका लाल, प्रियदर्शिनी मट्टू और रुचिका मामले मे अतिशय उत्साह दिखाया। पर इन केसों को तार्किक परिणति तक पहुँचाने की जिम्मेदारी न्यायपालिका की है। मीडिया की दिलचस्पी उच्च वर्ग में ज्यादा रहती है। बिहार के बथानी टोला मामले में उसका उत्साह वैसा नहीं है जैसा आरुषी मामले में है।
It is almost impossible to find a reporter covering the Aarushi-Hemraj murder case who hasn’t already decided that the Talwar couple is guilty. So it was an ecstatic crowd of reporters who arrived this morning at the special CBI court in Ghaziabad, gunning for a shot of Nupur Talwar being taken into custody.
They perched themselves on walls, had multiple teams stationed at strategic points to make sure Nupur did not escape their cameras. With some reporters facing defamation cases for coverage of the case, it seems as if the media is taking its collective revenge on the Talwars.
The lawyers from Ghaziabad involved in this case are making the most of their 15 minutes of fame. The Ray Ban sporting FC Sharma, Krishna’s lawyer, is the most media-savvy among the lot. (Krishna was Rajesh’s assistant the clinic). Sharma is usually the quickest with the news, coming out at regular intervals (the proceedings in the special CBI court are in-camera in this case) to brief the media contingent waiting outside.
For the Talwars, the court hearings are perhaps the only time they venture into public. They keep to themselves. They just don’t engage with the media. The media, for its part, has also stopped asking them questions, while the mad obsession for ‘visuals’ remains.
मीडिया को ऐसे संवदेनशील मामलों में सतर्कता से काम लेना चाहिए। इस देश में बथानी टोला सहित कई ऐसे नरसंहार हुए लेकिन उसमें मीडिया की उतनी दिलचस्पी नहीं रही। टीआरपी के लिए किसी की निजता का उल्लंघन ठीक नहीं है।
ReplyDeleteज़रूरी है की मीडिया के विवेचन, विश्लेषण तर्क और तथ्यों पर आधरित हों..... रिपोर्टिंग के मायने ही क्या हैं आज ? ऐसी घटनाएँ खुद ही बता देती हैं.....
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