आज तीन तरह की खबरों पर ध्यान जा रहा है। तीनों हमें कुछ न कुछ सोचने को मज़बूर करती हैं। इनमें हमारी कमज़ोरी ज़ाहिर होती है और ताकत भी।
कॉमनवैल्थ गेम्सः अपने देश में अंतरराष्ट्रीय खेल प्रतियोगिता कराने के पीछे मोह इस बात का होता है कि हमारी प्रसिद्धि देश के बाहर हो। हम रोल मॉडल बनें। बाहरी देश के पर्यटक और दर्शक हमारे यहाँ आएं। साथ ही व्यापारी और उद्यमी आएं। यहाँ पैसा लगाएं। कारोबार करें। हमारा विकास हो उन्हें भी फायदा मिले। पर कॉमनवैल्थ गेम्स बाद में होंगे। उसके पहले कैसा बखेड़ा खड़ा हो गया है। तीन चीजें साफ नज़र आ रहीं हैं, जो हमारी इज्जत में बट्टा लगाएंगीः-
1. कोई भी काम समय से नहीं हुआ। पिछले रविवार को खेलमंत्री एम एस गिल ने भारतीय मीडिया से कहा, आप फॉज़ीटिव खबरें क्यों नहीं लिखते? इस बीच बीबीसी के किसी रिपोर्टर ने लंदन में 2012 में होने वाले ओलिम्पिक की तैयारी को अपने कैमरे में शूट करके दिखाया। सारे स्टेडियम तैयार हैं। हमारे यहाँ आधे से ज्यादा काम बाकी है। कहाँ है पॉज़ीटिव की गुंजाइश?
2. काम की क्वालिटी बेहद खराब है। पानी बह रहा है। छतें चू रही हैं। रेलिंगें अभी से उखड़ रहीं हैं।
3. करीब-करीब सारे काम की लागत दस गुना तक बढ़ गई है। ऊपर से भ्रष्टाचार के आरोप।
दिल्ली शहर ने पिछले दस साल में मेट्रो का निर्माण देखा। वह निर्माण कॉमनवैल्थ के निर्माण से कहीं ज्यादा था। एक-एक चीज़ समय से बनी। लोगों को पता भी नहीं लगा। हर चीज़ अपनी लागत पर बनी। आज दिल्ली में रिक्शे वाला भी कहता है, इससे बेहतर था श्रीधरन को यह काम दे देते। हम बेहतर काम कर सकते हैं, पर कर नहीं पाते।
सुना है इन खेलों में एआर रहमान और कैटरीना कैफ के कार्यक्रम पर 75 करोड़ रुपए का खर्च आएगा। हमने शायद अपनी पूरी टीम की तैयारी पर इसका चौथाई भी खर्च नहीं किया होगा। बहरहाल जो भी है हास्यास्पद है।
कश्मीरः मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला कल श्रीनगर के शेरे कश्मीर अस्पताल में घायलों का हाल-चाल पता करने गए। दिल्ली के अखबारों में श्रीनगर का जो विवरण आ रहा है उसके अनुसार आंदोलन में महिलाएं आगे आ गईं हैं। इसका मतलब है कि आंदोलन बहुत दूर तक पहुँच गया है।
टाइम्स ऑफ इंडिया में आरती जेरथ की रिपोर्ट के अनुसार अली शाह गीलानी चाहते हैं कि जनमत संग्रह हो जिसमें कश्मीर के नागरिक तय करें कि उन्हें पाकिस्तान और भारत में किसके साथ रहना है। लगता नहीं कि यह जनमत संग्रह करा पाना सम्भव है। गीलानी पाक-परस्त हैं। यह भी सच है कि इस वक्त घाटी में उनकी बात सुनी जा रही है, पर समूचा नेतृत्व एक नहीं है। सीमा के दोनों ओर कई तरह के सुर हैं। पाक अधिकृत कश्मीर के भीतर पाकिस्तान विरोधी लोग भी हैं।
भारतीय संसद समूचे कश्मीर को अपना मानते हुए प्रस्ताव पास कर चुकी है। यों आजतक जितने भी फॉर्मूले सामने आए हैं, उनमें से किसी को मानने की परिस्थिति नहीं है।
रतन टाटाः टाटा उद्योग समूह के प्रमुख रतन टाटा ने काम से अवकाश लेने का फैसला किया है। अब उनके उत्तराधिकारी को चुना जाएगा। इसके लिए पाँच सदस्यों की एक कमेटी बनाई गई है। इस कमेटी में रतन टाटा खुद शामिल नहीं हैं।
रतन टाटा के कार्यकाल में टाटा ने अंतरराष्ट्रीय उद्योग समूह के रूप में अपना स्थान बना लिया है। इस संस्था में अब खानदान नहीं काम महत्वपूर्ण है। इस संस्था की खासियत है कि इसके 66 फीसदी शेयर उन ट्रस्टों के पास हैं, जो सार्वजनिक हित में काम करते हैं। इन ट्रस्टों को यह रकम टाटा परिवार के लोगों ने ही दी थी।
जैसे मैने शुरू में श्रीधरन का नाम लिया था वैसे ही टाटा समूह का नाम लिया जा सकता है। कर्तव्य परायणता, कुशलता और सुव्यवस्था के मानक भी हमारे पास अपने हैं। अकुशलता, बेईमानी और भ्रष्टाचार के तो हैं ही। इनमें हम किसे आगे बढ़ने देते हैं, यह इस देश लोगों के हाथ में हैं।
प्रमोद जी बहुत ही बेहतर प्रस्तुति रही। आपने सही कहा पॉजीटिव होगा तो ही तो मीडिया पॉजीटिव छापेगी। जब कॉमनवेल्थ गेम के आयोजन कराने का मौका भारत को मिला तो मीडिया ने खूब पॉजीटिव लिखा न, लेकिन जब व्यवस्थाएं ठीक न हो तो नकारात्मक लिखा जाना जरूरी है। मेहमानों के सामने बेइज्जत होने से तो अच्छा है अभी हो लो और कुछ ठीक कर सकते हैं तो कर लें।
ReplyDeleteऔर कश्मीर समस्या बहुत विकराल हो चुकी है। जब पूरे भारत में जगह-जगह भारत विरोधी लोगों की संख्या बढ़ गई है तो कश्मीर में क्या हालात होंगे आप सहज अंदाजा लगा सकते हैं। क्योंकि वहां तो फिरकापरस्त और देश तोड़ो ताकतें पूरी मुस्तैदी से तैनात हैं। इसलिए जनमत संग्रह कराना निहायत बेवकूफी होगी। सही कहूं तो पूरे देश का जनमत कराया तो यह देश ही नहीं बचेगा टुकड़े-टुकड़े हो जाएगा। देश को एक रखने के लिए एक देश-एक कानून की जरूरत है।
nice post..very expresive style of writing..
ReplyDeletedo visit my post and do promote it if you like it.. :)
http://www.indiblogger.in/indipost.php?post=28218