Sunday, February 7, 2016

फिर ढलान पर उतरेगी राजनीति

संसद का पिछले साल का बजट जितना रचनात्मक था, इस बार उतना ही नकारात्मक रहने का अंदेशा है। कांग्रेस ने घोषणा कर दी है कि वह गुजरात की मुख्यमंत्री आनंदी बेन के खिलाफ मामले उठाएगी। साथ ही रोहित वेमुला और अरुणाचल में राष्ट्रपति शासन के मामले भी उठाए जाएंगे। दो भागों में चलने वाला यह सत्र काफी लम्बा चलेगा और इसी दौरान पाँच राज्यों के विधान सभा चुनाव भी होंगे, इसलिए अगले तीन महीने धुआँधार राजनीति का दौर चलेगा। और 13 मई को जब यह सत्र पूरा होगा तब एनडीए सरकार के पहले दो साल पूरे हो रहे होंगे।

Thursday, February 4, 2016

टेक्नोट्रॉनिक राजनीति का नया दौर

हाल में खबर थी कि ओडिशा के बालासोर (बालेश्वर) जिले में भारत ज्ञान-विज्ञान समिति के 800 कार्यकर्ता घर-घर जाकर जानकारियाँ हासिल कर रहे हैं. बीजू जनता दल के लोकसभा सदस्य रवीन्द्र कुमार जेना का यह क्षेत्र है. गाँवों में काम कर रहे कार्यकर्ता इस सूचना को एक एप की मदद से टैबलेट्स में दर्ज करते जाते हैं. जानकारियों का वर्गीकरण किया गया है. ज्यादातर सूचनाएं स्कूलों, आँगनवाड़ी केन्द्रों, स्वास्थ्य सुविधाओं, पंचायती राज संस्थाओं, सड़कों, परिवहन, विद्युतीकरण और खेती के बारे में हैं. इस डेटा का विश्लेषण एक गैर-लाभकारी संस्था कर रही है, जो सांसद को इलाके का डेवलपमेंट प्लान बनाकर देगी.

Sunday, January 31, 2016

छोटे राज्यों की बड़ी राजनीति

आम आदमी पार्टी की निगाहें पंजाब और उत्तराखंड पर हैं। अभी वह दिल्ली में सत्तारूढ़ है। यदि उसे पंजाब और उत्तराखंड में सफलता मिले तो उसे राष्ट्रीय स्तर पर उभरने में बड़ी सफलता भी मिल सकती है। और वहाँ विफल रही तो आने वाले वक्त में दिल्ली से भी वह गायब हो सकती है। उसकी सफलता या विफलता के आधार दो छोटे राज्य बन सकते हैं। वाम मोर्चे की समूची राष्ट्रीय राजनीति अब केरल और त्रिपुरा जैसे दो छोटे राज्यों के सहारे है। कांग्रेस की राजनीति भी अब ज्यादातर छोटे राज्यों के भरोसे है। उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र और तमिलनाडु जैसे राज्यों का अपना महत्व है। वे लोकसभा में सीटें दिलाने का काम करते हैं, पर माहौल बनाने में छोटे राज्यों की भूमिका भी है। हाल में केरल और अरुणाचल इसीलिए महत्वपूर्ण बन गए हैं।

Tuesday, January 12, 2016

Global Innovation Index 2015

भारत में बड़ी खोज क्यों नहीं होती?

प्रयोगशाला

Image copyrightThinkstock

बीते 10 साल में भारत में दिए गए हर छह पेटेंट में से सिर्फ़ एक की खोज भारतीयों ने की थी.
इंडियास्पेंड ने अपने विश्लेषण में ये पाया कि बाकी के पांच पेटेंट देश में काम कर रही विदेशी कंपनियों को मिले, जो अपनी बौद्धिक संपदा की रक्षा करना चाहती थीं.
दूसरे अध्ययनों से भी पता चला है कि नई चीजों को खोजने या नई तकनीक विकसित करने मे भारत निहायत ही कमज़ोर है.
चार नोबेल पुरस्कार विजेताओं का कहना है कि ये भारत की पारंपरिक कमज़ोरी है और इसे ठीक करना बेहद ज़रूरी है.

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इन नोबेल विजेताओं का कहना है कि भारत को मैनुफ़ैक्चरिंग का केंद्र बनाने की प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की योजना 'मेक इन इंडिया' से पहले यह ज़रूरी है कि कंपनियां भारत में नई चीज़ें खोजें.
संयुक्त राष्ट्र की एजेंसी विश्व बौद्धिक संपदा संगठन (डब्ल्यूआईपीओ) ने साल 2015 में जो ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स जारी किया उसमें भारत 81वें स्थान पर है.

बीबीसी हिन्दी की रपट पढ़ें यहाँ
Rank Country Score Value Percentage Rank S/W
1 Switzerland 68.3 - 1
2 United Kingdom 62.4 - 0.99
3 Sweden 62.4 - 0.99
4 Netherlands 61.6 - 0.98
5 United States of America 60.1 - 0.97
6 Finland 60 - 0.96
7 Singapore 59.4 - 0.96
8 Ireland 59.1 - 0.95
9 Luxembourg 59 - 0.94
10 Denmark 57.7 - 0.94
11 Hong Kong (China) 57.2 - 0.93
12 Germany 57.1 - 0.92
13 Iceland 57 - 0.91
14 Korea, Republic of 56.3 - 0.91
15 New Zealand 55.9 - 0.9
16 Canada 55.7 - 0.89
17 Australia 55.2 - 0.89
18 Austria 54.1 - 0.88
19 Japan 54 - 0.87
20 Norway 53.8 - 0.86
21 France 53.6 - 0.86
22 Israel 53.5 - 0.85
23 Estonia 52.8 - 0.84
24 Czech Republic 51.3 - 0.84
25 Belgium 50.9 - 0.83
26 Malta 50.5 - 0.82
27 Spain 49.1 - 0.81
28 Slovenia 48.5 - 0.81
29 China 47.5 - 0.8
30 Portugal 46.6 - 0.79
31 Italy 46.4 - 0.79
32 Malaysia 46 - 0.78
33 Latvia 45.5 - 0.77
34 Cyprus 43.5 - 0.76
35 Hungary 43 - 0.76
36 Slovakia 43 - 0.75
37 Barbados 42.5 - 0.74
38 Lithuania 42.3 - 0.74
39 Bulgaria 42.2 - 0.73
40 Croatia 41.7 - 0.72
41 Montenegro 41.2 - 0.71
42 Chile 41.2 - 0.71
43 Saudi Arabia 40.7 - 0.7
44 Moldova, Republic of 40.5 - 0.69
45 Greece 40.3 - 0.69
46 Poland 40.2 - 0.68
47 United Arab Emirates 40.1 - 0.67
48 Russian Federation 39.3 - 0.66
49 Mauritius 39.2 - 0.66
50 Qatar 39 - 0.65
51 Costa Rica 38.6 - 0.64
52 Viet Nam 38.3 - 0.64
53 Belarus 38.2 - 0.63
54 Romania 38.2 - 0.62
55 Thailand 38.1 - 0.61
56 TFYR Macedonia 38 - 0.61
57 Mexico 38 - 0.6
58 Turkey 37.8 - 0.59
59 Bahrain 37.7 - 0.59
60 South Africa 37.4 - 0.58
61 Armenia 37.3 - 0.57
62 Panama 36.8 - 0.56
63 Serbia 36.5 - 0.56
64 Ukraine 36.5 - 0.55
65 Seychelles 36.4 - 0.54
66 Mongolia 36.4 - 0.54
67 Colombia 36.4 - 0.53
68 Uruguay 35.8 - 0.52
69 Oman 35 - 0.51
70 Brazil 34.9 - 0.51
71 Peru 34.9 - 0.5
72 Argentina 34.3 - 0.49
73 Georgia 33.8 - 0.49
74 Lebanon 33.8 - 0.48
75 Jordan 33.8 - 0.47
76 Tunisia 33.5 - 0.46
77 Kuwait 33.2 - 0.46
78 Morocco 33.2 - 0.45
79 Bosnia and Herzegovina 32.3 - 0.44
80 Trinidad and Tobago 32.2 - 0.44
81 India 31.7 - 0.43

Saturday, January 9, 2016

‘फ्री बेसिक्स’ संचार महा-क्रांति या कमाई का नया फंडा?


नए दौर का सूत्र है नेट-साक्षरता. आने वाले वक्त में इंटरनेट पटु होना सामान्य साक्षरता का हिस्सा होगा. जो इंटरनेट का इस्तेमाल कर पाएगा वही सजग नागरिक होगा. वजह साफ है. जीवन से जुड़ा ज्यादातर कार्य-व्यवहार इंटरनेट के मार्फत होगा. इसीलिए इसका व्यावसायिक महत्व बढ़ रहा है. इंटरनेट की भावी पैठ को अभी से पढ़ते हुए नेट-प्रदाता और टेलीकॉम कंपनियां इसमें अपनी हिस्सेदारी चाहती हैं. सरकारों की भी यही कोशिश है कि नीतियाँ ऐसी हों ताकि ज्यादा से ज्यादा लोगों को ऑनलाइन किया जा सके.
नेट के विस्तार के साथ-साथ कुछ अंतर्विरोधी बातें सामने आ रही हैं. इसके साथ दो बातें और जुड़ी हैं. एक है तकनीक और दूसरे पूँजी. इंटरनेट की सार्वजनिक जीवन में भूमिका होने के बावजूद इसका विस्तार निजी पूँजी की मदद से हो रहा है. निजी पूँजी मुनाफे के लिए काम करती है. सूचना-प्रसार केवल व्यावसायिक गतिविधि नहीं है. वह लोकतांत्रिक व्यवस्था का सबसे महत्वपूर्ण कच्चा माल उपलब्ध कराने वाली व्यवस्था है. जानकारी पाना या देना, कनेक्ट करना और जागृत विश्व के सम्पर्क में रहना समय की सबसे बड़ी जरूरत है.