घटनाचक्र, मीडिया, नवोन्मेष, कुछ अटपटा-चटपटा Current Affairs, Media, Innovation, Sweet & Sour
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आज़ाद भारत
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Friday, August 6, 2010
हमारे ग़म और हमारी खुशियाँ
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आज तीन तरह की खबरों पर ध्यान जा रहा है। तीनों हमें कुछ न कुछ सोचने को मज़बूर करती हैं। इनमें हमारी कमज़ोरी ज़ाहिर होती है और ताकत भी। कॉम...
2 comments:
Thursday, August 5, 2010
कश्मीर में संवाद
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इसी बुधवार को हिन्दुस्तान में कश्मीर के बाबत मेरा लेख छपने के बाद एक पाठक ने मुझे ई-मेल पर अपनी प्रतिक्रिया भेजी जो इस प्रकार है : M...
2 comments:
बाज़ार के हवाले भूख
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दो रोज़ पहले संसद में महंगाई को लेकर बहस हुई। इस बहस के दो-एक पहलुओं की ओर मैं इशारा करना चाहता हूँ। ऐसा लगता है कि महंगाई को लेकर सत्ता-पक्...
1 comment:
Wednesday, August 4, 2010
कश्मीर में अधूरे मन से
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ऐसा लगता है हमारी समूची राजनीति अपने अस्तित्व को लेकर फिक्रमंद नहीं है। कश्मीर-समस्या इस राजनीति की देन है। एक ज़माने तक केन्द्र सरकार वहाँ ...
4 comments:
Tuesday, August 3, 2010
पत्रकारिता के समांतर चलता है उसका कारोबार
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जब हम मीडिया के विकास, क्षेत्र विस्तार और गुणात्मक सुधार की बात करते हैं, तब सामान्यतः उसके आर्थिक आधार के बारे में विचार नहीं करते। करते ...
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