tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post8349739892903293068..comments2024-03-19T11:38:51.284+05:30Comments on जिज्ञासा: राजनीति के दरवाजे से बाहर क्यों हैं स्त्रियाँ?Pramod Joshihttp://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comBlogger2125tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-53568414331085495412019-03-09T07:40:11.843+05:302019-03-09T07:40:11.843+05:30यह बात काफी हद तक सही है कि महिलाओं की जगह उनके पत...यह बात काफी हद तक सही है कि महिलाओं की जगह उनके पति, पिता, भाई या कोई पुरुष उस पद का काम देखता है, पर यह पूरा सच नहीं है। इस बात के दो पहलुओं पर और ध्यान देना चाहिए। एक, मान लें दस-बीस फीसदी महिलाएं भी अपना काम देख रहीं हैं, तो यह सफलता है। मेरा व्यक्तिगत अनुभव है कि काफी कुशल और ऊर्जावान स्त्रियाँ इस दौर में सामने आईं हैं। दूसरे कहीं से तो शुरुआत होगी। पहली पीढ़ी के बाद दूसरी पीढ़ी का तरीका बदल जाता है। हम देख सकते हैं कि पन्द्रह साल पहले की महिला कार्यकर्ताओं और आज की पदाधिकारियों में अंतर है। हमेशा वैसा ही तो नहीं रहेगा, जैसा पहले था। Pramod Joshihttps://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-70026361368064357482019-03-08T17:10:12.796+05:302019-03-08T17:10:12.796+05:30रोचक दृष्टिकोण। पंचायतों के मामले में भी आरक्षण भल...रोचक दृष्टिकोण। पंचायतों के मामले में भी आरक्षण भले ही दिया हो लेकिन उधर भी कई बार ये देखने में आया है ज्यादातर निर्णय महिला सरपंच के पति या ऐसे ही रिश्तेदार करते हैं। ऐसे में अगर आरक्षण दिया जाता है तो आखिर निर्णय किसका होगा ये सोचने वाला विषय होगा। क्या वो महिला जो आरक्षण की पूर्ती के लिए चुनकर आई हैं क्या वो असल में निर्णय ले रही हैं या वो केवल स्टाम्प बनकर रह जाएँगी? आपके इसके ऊपर क्या विचार हैं? विकास नैनवाल 'अंजान'https://www.blogger.com/profile/09261581004081485805noreply@blogger.com