tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post6379278048245607886..comments2024-03-19T11:38:51.284+05:30Comments on जिज्ञासा: बच्चे आत्महत्या क्यों कर रहे हैं?Pramod Joshihttp://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comBlogger9125tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-33909388429060829222011-02-22T05:40:34.222+05:302011-02-22T05:40:34.222+05:30अभिभावकों को बच्चों को अच्छा वक़्त देना ही होगा ......अभिभावकों को बच्चों को अच्छा वक़्त देना ही होगा ...झगडे मनमुटाव हर घर में होते हैं , हो सकते हैं मगर बच्चों के मन में यह विश्वास पैदा होना चाहिए की यह स्थिति बस कुछ पल की ही है !वाणी गीतhttps://www.blogger.com/profile/01846470925557893834noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-29796466876448564522011-02-21T13:56:19.704+05:302011-02-21T13:56:19.704+05:30बच्चों कों बहुत प्यार से पालने की ज़रुरत है । घर ...बच्चों कों बहुत प्यार से पालने की ज़रुरत है । घर की कलह-क्लेश उनके नाज़ुक मन कों बहुत गहरे तक प्रभावित करती है । जब माता-पिता कों खुशहाल देखते हैं तभी बच्चों का सही विकास होता है ।ZEALhttps://www.blogger.com/profile/04046257625059781313noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-62615183210536729632011-02-20T20:32:25.256+05:302011-02-20T20:32:25.256+05:30@यशवंत जी,विजय जी, सुनील जी, आप सबों का बहुत बहुत ...@यशवंत जी,विजय जी, सुनील जी, आप सबों का बहुत बहुत शुक्रिया| आपने पढ़ा और विचारों से अवगत कराया|<br /><br />वंदना जी, आपको भी धन्यवाद देना चाहूँगा इस ओर ध्यान देने के लिए|चर्चा मंच पर ज़रूर आऊंगा|गिरिजेश कुमारhttp://nnayarasta.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-35191233888361969172011-02-20T12:14:18.318+05:302011-02-20T12:14:18.318+05:30सारगर्भित पोस्ट सोचने को मजबूर करती...सारगर्भित पोस्ट सोचने को मजबूर करती...Sunil Kumarhttps://www.blogger.com/profile/10008214961660110536noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-29745107961873495312011-02-20T11:37:07.883+05:302011-02-20T11:37:07.883+05:30सार्थक चेतावनी है.लोगों को सम्हालना चाहिए.समाज में...सार्थक चेतावनी है.लोगों को सम्हालना चाहिए.समाज में धन का महत्त्व जब तक अधिक रहेगा तब तक समाधान नहीं हो पायेगा.इसलिए लेखक -गण विशेष ध्यान दें .vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-88522203896958029892011-02-20T10:37:26.261+05:302011-02-20T10:37:26.261+05:30प्रमोद जी, बिल्कुल सही सवाल उठाया है-"उत्कृष...प्रमोद जी, बिल्कुल सही सवाल उठाया है-"उत्कृष्ट साहित्य और श्रेष्ठ विमर्श से समाज को दूर करने की कोशिशें भी तो इसके लिए ज़िम्मेदार नहीं?" <br /><br />राहुल जी,मैं भी आश्चर्यचकित हूँ जिस लड़की के अंदर इतनी छोटी सी उम्र में इतनी बड़ी समझदारी हो उसने ऐसा कदम कैसे उठाया? निश्चित ही उसके धैर्य की चरमसीमा पार हो गयी होगी| जो समाज के लिए और दुखद है|गिरिजेश कुमारhttp://nnayarasta.blogspot.comnoreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-60995131130471629492011-02-20T10:29:28.929+05:302011-02-20T10:29:28.929+05:30बिलकुल सही मुद्दे को उठाया है गिरिजेश भाई ने.बिलकुल सही मुद्दे को उठाया है गिरिजेश भाई ने.Yashwant R. B. Mathurhttps://www.blogger.com/profile/06997216769306922306noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-21459308724589180492011-02-20T09:36:44.183+05:302011-02-20T09:36:44.183+05:30''लड़ाई-झगडा किसके घर नहीं होता? इसका मतलब...''लड़ाई-झगडा किसके घर नहीं होता? इसका मतलब खाना छोड़ देंगे'' ऐसी समझाइश और फिर आत्महत्या, आश्चर्य.Rahul Singhhttps://www.blogger.com/profile/16364670995288781667noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-47182284744848249462011-02-20T08:25:35.440+05:302011-02-20T08:25:35.440+05:30क्या शहरों की चकाचौंध मे और ज़िदगी की भागदौड के ब...क्या शहरों की चकाचौंध मे और ज़िदगी की भागदौड के बीच आज के युवा कहीं गुम होते जा रहे हैं? सर्वश्रेष्ठ करने की चाह लिए ये युवा सर्वश्रेष्ठ न कर पाने के कारण आत्महत्या कर रहे हैं? और सबसे बडा सवाल तो ये है कि आखिर इसके लिए जिम्मेदार कौन है? कोई सिस्टम को गलत मनता है तो कोई मा -बाप को जिम्मेदार ठहराता है | सही मायने में देखा जाए तो दोनो बराबर के दोषी हैं मूलतः यह हमारे पारिवारिक और सामाजिक परिवेश के सिकुड़ते हुए दायरों के परिणाम है|Saleem Khanhttps://www.blogger.com/profile/17648419971993797862noreply@blogger.com