Friday, January 22, 2021

जून में होगा कांग्रेस अध्यक्ष का चुनाव


कांग्रेस के नए अध्यक्ष का चुनाव अब पांच राज्यों के विधान सभा चुनावों के बाद जून 2021 में होगा। कांग्रेस कार्य समिति की आज (शुक्रवार, 22 जनवरी) हुई बैठक में इसका फैसला किया गया। इससे पहले पार्टी की बैठक में दो गुटों के बीच काफी बहस हुई, जिसमें राहुल गांधी ने भी दखल दिया।

कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने बैठक के बाद संवाददाताओं से कहा, "कांग्रेस कार्य समिति फैसला किया है कि जून 2021 में एक नए निर्वाचित कांग्रेस अध्यक्ष होंगे।" इससे पहले समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी थी कि कांग्रेस संगठन के चुनाव मई में कराए जा सकते हैं। एजेंसी ने सूत्रों के हवाले से जानकारी दी कि कांग्रेस महासमिति का सत्र 29 मई को आयोजित किया जाएगा।

हालांकि कार्यसमिति ने पार्टी के अध्यक्ष पद के चुनाव की प्रक्रिया शुरू की है, पर अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि कार्यसमिति के चुनाव होंगे या नहीं। पिछले अगस्त में जो पत्र लीक हुआ था, उसमें यह माँग भी थी।

Thursday, January 21, 2021

जो बाइडेन का आगमन और रिश्तों का नया दौर

 


अमेरिका में डोनाल्ड ट्रंप के पराभव के साथ नए राष्ट्रपति जो बाइडेन के प्रशासन ने कार्यभार संभाल लिया है और उसके साथ ही यह सवाल पूछा जा रहा है कि भारत के साथ अमेरिका के रिश्ते कैसे रहेंगे। बहरहाल शुरुआत अच्छी हुई है और संकेत मिल रहे हैं कि भारत और अमेरिका की मैत्री प्रगाढ़ ही होगी। उसमें किसी किस्म की कमी आने के संकेत नहीं हैं। अलबत्ता नए प्रशासन की आंतरिक और विदेश नीति में काफी बड़े बदलाव देखने में आ रहे हैं। जो बाइडेन ने जो फैसले किए हैं, उनमें भारत को लेकर सीधे कोई बात नहीं है, पर उनके रक्षामंत्री लॉयड ऑस्टिन ने जो कहा है, वह जरूर महत्वपूर्ण है।

जैसा कि पहले से ही माना जा रहा था कि बाइडेन शपथ लेने के बाद डोनाल्ड ट्रंप के कुछ फैसले पलट देंगे, वैसा ही हुआ। कामकाज संभालते ही बाइडेन एक्शन में आ गए और कम से कम नए आदेश एक झटके में दे डाले। उन्होंने कई ऐसे आदेशों पर दस्तखत किए हैं, जिनकी लंबे समय से मांग चल रही थी। खासतौर से कोरोना वायरस, आव्रजन और जलवायु परिवर्तन के मामले में उनके आदेशों को अमेरिका की नीतियों में बड़ा बदलाव माना जा सकता है।

Tuesday, January 19, 2021

संसद की कैंटीन में अब सब्सिडी वाला भोजन नहीं मिलेगा


संसद भवन परिसर की कैंटीन में अब सांसदों को सब्सिडी वाला खाना नहीं मिलेगा। लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने मंगलवार को कहा कि संसद की कैंटीन में सांसदों को भोजन पर दी जाने वाली सब्सिडी खत्म की जा रही है।

लोकसभा अध्यक्ष ओम बिड़ला ने बताया कि सांसदों और अन्य लोगों को खाने पर मिलने वाली सब्सिडी पर रोक लगा दी गई है। खाने में सब्सिडी खत्म करने को लेकर दो साल पहले भी बात उठी थी। लोकसभा की कार्यमंत्रणा समिति में सभी दलों के सदस्यों ने एक राय बनाते हुए इसे खत्म करने पर सहमति जताई थी। अब कैंटीन में मिलने वाला खाना लागत के हिसाब से ही मिलेगा। सांसद उसी हिसाब से ही भुगतान करेंगे। संसद की कैंटीन को अब नॉर्दर्न रेलवे के बदले इंडियन टूरिज्म डेवलपमेंट कॉरपोरेशन चलाएगा।

संसद की कैंटीन को सालाना करीब 17 करोड़ रुपए की सब्सिडी दी जा रही थी, जो अब खत्म हो जाएगी। जानकारी के मुताबिक कैंटीन की रेट लिस्ट में चिकन करी 50 रुपए में तो शाकाहारी थाली 35 रुपए में परोसी जाती है। वहीं थ्री कोर्स लंच की कीमत 106 रुपए निर्धारित है। दक्षिण भारतीय भोजन में प्लेन डोसा मात्र 12 रुपए में मिलता है। इसके अलावा मटन करी सिर्फ 40 रुपये और चिकन बिरयानी 65 रुपये में मिलती है। एक आरटीआई के जवाब में 2017-18 में यह रेट लिस्ट सामने आई थी।

Monday, January 18, 2021

टीका लगाने की वैश्विक ‘अफरा-तफरी’


शनिवार 9 जनवरी को ब्रिटेन की 94 वर्षीय महारानी एलिज़ाबेथ और उनके 99 वर्षीय पति प्रिंस फिलिप को कोविड-19 का टीका लगाया गया। ब्रिटेन में वैक्सीन की वरीयता सूची में उनका भी नाम था। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली एक वैबसाइट के अनुसार 11 जनवरी तक दो करोड़ 38 लाख लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके थे। इन पंक्तियों के प्रकाशित होने तक भारत में भी वैक्सीनेशन का काम शुरू हो जाएगा, जो दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान होगा। हालांकि आबादी के लिहाज से चीन ज्यादा बड़ा देश है, पर वैक्सीन की जरूरत भारत में ज्यादा बड़ी आबादी को है। 

इसे अफरा-तफरी कहें, हड़बड़ी या आपातकालीन गतिविधि दुनिया में इतनी तेजी से किसी बीमारी के टीके की ईजाद न तो पहले कभी हुई, और न इतने बड़े स्तर पर टीकाकरण का अभियान चलाया गया। पिछले साल के शुरू में अमेरिका सरकार ने ऑपरेशन वार्पस्पीड शुरू किया था, जिसका उद्देश्य तेजी से वैक्सीन का विकास करना। वहाँ परमाणु बम विकसित करने के लिए चली मैनहटन परियोजना के बाद से इतना बड़ा कोई ऑपरेशन नहीं चला। यह भी तय था वैक्सीन की उपयोगिता साबित होते ही उसे आपातकालीन इस्तेमाल की अनुमति (ईयूए) मिल जाएगी।

Sunday, January 17, 2021

वैक्सीन यानी भरोसे की वापसी

भारत में कोविड-19 से लड़ाई के लिए जो टीकाकरण अभियान कल से शुरू हुआ है, उसका प्रतीकात्मक महत्व है। यह दुनिया का, बल्कि इतिहास का सबसे बड़ा अभियान है। भारत को श्रेय जाता है कि उसने न केवल त्वरित गति से वैक्सीन तैयार किए, बल्कि उन्हें देश के कोने-कोने तक पहुँचाया। अभियान के पहले चरण में करीब तीन करोड़ लोगों को टीका लगाया जाएगा। यह टीकाकरण उस भरोसे की वापसीहै, जिसका पिछले दस महीनों से हमें इंतजार है। भारत केवल अपने लिए ही नहीं, दुनियाभर के लिए टीके बना रहा है।  

उम्मीद है कि इस साल के अंत तक देश की उस आबादी को टीका लग जाएगा, जिसे इसकी सबसे पहले जरूरत है। इसमें सभी राज्यों और केंद्रशासित प्रदेशों के 3,600 केंद्र वीडियो कांफ्रेंसिंग के जरिए आपस में जुड़ेंगे। पहले चरण में हैल्थकेयर और फ्रंटलाइन वर्कर्स, 50 से अधिक उम्र के लोग और कोमॉर्बिडिटी वाले लोगों को टीका लगाया जा रहा है। भारत के इस अभियान के कुछ दिन पहले दुनिया में टीकाकरण का अभियान शुरू हुआ है। वैक्सीनेशन की वैश्विक गणना करने वाली वैबसाइट के अनुसार 15 जनवरी तक तीन करोड़ 85 लाख से ज्यादा लोगों को कोविड-19 के टीके लगाए जा चुके थे। भारत का अभियान शुरू होने के बाद यह संख्या तेजी से बढ़ेगी।

भ्रामक प्रचार

इस सफलता के बावजूद और टीकाकरण शुरू होने के पहले ही कुछ स्वार्थी तत्वों ने भ्रामक बातें फैलानी शुरू कर दी हैं। उन बातों की कलई टीकाकरण शुरू होने के बाद खुलेगी, क्योंकि अगले कुछ दिनों के भीतर लाखों व्यक्ति टीके लगवा चुके होंगे। चूंकि दुष्प्रचार यह है कि राजनेता टीके लगवाने से बच रहे हैं, इसलिए उसका जवाब देना भी जरूरी है।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्रियों से वीडियो कांफ्रेंस में कहा, जब भी आपका नंबर आए वैक्सीन जरूर लें, लेकिन नियम न तोड़ें। उनका आशय है कि वीआईपी होने का लाभ नहीं उठाएं। पर जब टीके को लेकर भ्रांत-प्रचार है, तब प्रतीक रूप में ही सही कुछ नेता टीकाकरण में शामिल होते तो अच्छा था। इनमें राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, स्वास्थ्य मंत्री और कुछ मुख्यमंत्री भी हो सकते हैं। इससे उन आशंकाओं को दूर करने में मदद मिलती, जो फैलाई जा रही हैं। संदेह दो प्रकार के हैं। एक वैज्ञानिक और दूसरे राजनीतिक। बेशक वैज्ञानिक संदेहों को ही महत्व दिया जाना चाहिए। वैक्सीन के साइड इफैक्ट क्या हैं और उनके जोखिम क्या हैं, उनपर भी बात करनी चाहिए।