Monday, August 31, 2020

क्या अब कोरोना के अंत का प्रारम्भ है?


विश्व स्वास्थ्य संगठन का अनुमान है कि कोरोनावायरस महामारी 1918 के स्पेनिश फ्लू की तुलना में कम समय तक रहेगी। संगठन के प्रमुख टेड्रॉस गैब्रेसस ने गत 21 अगस्त को कहा कि यह महामारी दो साल से कम समय में  खत्म हो सकती है। इसके लिए दुनियाभर के देशों के एकजुट होने और एक सर्वमान्य वैक्सीन बनाने में सफल होने की जरूरत है। जो संकेत मिल रहे हैं उनके अनुसार जो पाँच छह उल्लेखनीय वैक्सीन परीक्षणों के अंतिम दौर से गुजर रही हैं, उनमें से दो-तीन जरूर सफल साबित होंगी। कहना मुश्किल है कि सारी दुनिया को स्वीकार्य वैक्सीन कौन सी होगी, पर डब्लूएचओ के प्रमुख का बयान हौसला बढ़ाने वाला है।

इतिहास लिखने वाले कहते हैं कि महामारियों के अंत दो तरह के होते हैं। एक, चिकित्सकीय अंत। जब चिकित्सक मान लेते हैं कि बीमारी गई। और दूसरा सामाजिक अंत। जब समाज के मन से बीमारी का डर खत्म हो जाता है। कोविड-19 का इन दोनों में से कोई अंत अभी नहीं हुआ है, पर समाज के मन से उसका भय कम जरूर होता जा रहा है। यानी कि ऐसी उम्मीदें बढ़ती जा रही हैं कि इसका अंत अब जल्द होगा। डब्लूएचओ का यह बयान इस लिहाज से उत्साहवर्धक है।

Sunday, August 30, 2020

नहीं बदलेगी कांग्रेस


पिछले दो-तीन हफ्ते के घटनाक्रम से लगता है कि कांग्रेस पार्टी के भीतर गम्भीर अंतर्मंथन चल रहा है। यह अंतर्मंथन सायास नहीं है। पार्टी हाल में राजस्थान के संकट से बाहर आई है। राजस्थान में कांग्रेस को विजयी मानें भी, तो यह भी मानना होगा कि सचिन पायलट के रूप में एक रुष्ट युवा राजनेता पार्टी के भीतर बैठा है। ऐसे नाराज नेताओं की संख्या बढ़ती जा रही है। 23 वरिष्ठ नेताओं का पत्र भी यही बता रहा है। इनमें से कुछ और ज्यादा नाराज होंगे और कुछ अपनी नाराजगी को छोड़कर जैकारा लगाने लगेंगे। इधर कपिल सिब्बल ने कहा है कि हमने क्या गलत बात की? हम एक प्रक्रिया की बात कर रहे हैं। बीजेपी पर हम आरोप लगाते हैं कि वह संविधान का पालन नहीं करती है। पर हम क्या करते हैं? हमने जो बातें कहीं, उनका जवाब नहीं दिया गया, बल्कि हमारी आलोचना की गई और किसी ने हमारे पक्ष में नहीं बोला।  

अब सवाल तीन हैं। क्या कांग्रेस सन 1969 के आसपास के दौर में आ गई है, जब पार्टी के भीतर दो साफ धड़े बन गए थे? क्या यह दौर भी गांधी परिवार के पक्ष में गया है? तीसरा सवाल है कि यदि धड़ेबाज़ी चलने वाली नहीं है और पार्टी एक ही रहेगी, तो वर्तमान असंतोष की तार्किक परिणति क्या है?  कुल मिलाकर नरेंद्र मोदी की बीजेपी का मुकाबला करने के लिए कांग्रेस के पास अब क्या बचा है? उसे कौन बचाने वाला है?

Friday, August 28, 2020

केवल अभिनय

बर्लिन अंतरराष्ट्रीय फिल्म समारोह यानी बर्लिनेल ने फैसला किया है कि अगले साल के संस्करण के अभिनय वर्ग के इसके पुरस्कार लिंग-निरपेक्ष होंगे। यानी महिला और पुरुष वर्ग के अलग-अलग पुरस्कार नहीं होंगे। सर्वश्रेष्ठ लीड अभिनय का एक पुरस्कार होगा। भले ही वह महिला को मिले या पुरुष को। इसी तरह सहायक अभिनय का पुरस्कार भी होगा। ये दोनों पुरस्कार अभी तक लिंग-सापेक्ष थे। यह घोषणा लैंगिक समानता के लिहाज से बहुत महत्वपूर्ण है। अभिनय को महिला और पुरुष वर्ग में बाँटने की प्रवृत्ति खत्म होगी, तो हम लैंगिक संवेदनशीलता के दूसरे महत्वपूर्ण सवालों की तरफ देख पाएंगे।

बर्लिनेल दुनिया का सबसे बड़ा फिल्म समारोह माना जाता है और सबसे प्रगतिशील भी। जीवन के दूसरे क्षेत्रों की तरह संस्कृति में भी विभाजन या वर्गीकरण के साथ कई किस्म की असमानताएं शुरू होती हैं। यों एक दृष्टि यह भी है कि हाशिए के वर्गों के लिए अलग पुरस्कारों का वर्ग भी होना चाहिए। मसलन वैश्विक स्तर पर अश्वेत फिल्मकारों के अलग पुरस्कार वगैरह, पर अंततः हमें लैंगिक-सापेक्षता को छोड़ना चाहिए। आखिरकार महाश्वेता देवी, निर्मल वर्मा, केदारनाथ सिंह और कृष्णा सोबती को उनके लेखन के आधार पर ज्ञानपीठ से सम्मानित किया गया। पुरुष लेखक या महिला लेखक के रूप में नहीं। पत्रकारिता के पुलिट्जर पुरस्कार लिंग-निरपेक्ष होते हैं। अच्छे रिपोर्टर या फोटोग्राफर का फैसला लैंगिक आधार पर करने से गुणात्मक पैमाने बदल जाते हैं। इस लिहाज से यह अच्छा फैसला है।

Thursday, August 27, 2020

खुद से लड़ती कांग्रेस


कांग्रेस पार्टी के आंतरिक विवाद का रोचक पहलू सोमवार 24 अगस्त को हुई कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में सामने आया। सुधार की माँग करने वालों की बात सुनने के बजाय, उल्टे उनपर ही आरोप लगने लगे। हरियाणा के वरिष्ठ नेता भूपेंद्र सिंह हुड्डा उन 23 लोगों में शामिल हैं, जिन्होंने पार्टी अध्यक्ष को पत्र लिखा था कि ‘फुलटाइम और प्रभावशाली नेतृत्व’ होना चाहिए। बैठक के बाद उन्होंने सोनिया गांधी का इस बात के लिए शुक्रिया अदा किया कि वे अध्यक्ष पद पर बने रहने को तैयार हो गईं हैं। फौरी तौर पर नजर आता है कि पार्टी में अब केवल एक मसला है, आप गांधी परिवार के साथ हैं या नहीं? पर ज्यादा गहराई से देखें, तो इस चिट्ठी ने तमाम परतें खोल दी हैं। पार्टी के भविष्य के लिए यह परिघटना काफी महत्वपूर्ण साबित होगी।  

पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह ने कहा है कि इस मौके पर पार्टी की ओवरहॉलिंग की बात करना पार्टी और देश दोनों के खिलाफ है। राहुल गांधी ने इस पत्र के समय पर सवाल उठाया और पत्र लिखने वालों की मंशा पर खुलकर प्रहार किया। साफ है कि अंतर्मंथन की माँग करने वालों के लिए पार्टी में जगह नहीं है। दूसरे ‘गांधी परिवार’ से हटकर पार्टी नेतृत्व की कल्पना भी संभव नहीं। इस पत्र पर विचार के लिए हुई बैठक में सारी बातें पीछे रह गईं, केवल पत्र की आलोचना होती रही। पत्र लिखने की मंशा पर वार होते रहे।

Tuesday, August 25, 2020

कोरोना-संहारक रामबाण की प्रतीक्षा

रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने गत 11 अगस्त को घोषणा की कि उनके देश की स्वास्थ्य विनियामक संस्था ने दुनिया की पहली कोरोना वायरस वैक्सीन के इस्तेमाल की अनुमति दे दी है। यह खबर बेहद सनसनीखेज है। इसलिए नहीं कि बहुत बड़ी चीज दुनिया के हाथ लग गई है, बल्कि इसलिए कि ज्यादातर विज्ञानियों ने इस फैसले को खतरनाक बताया है। वैज्ञानिक मानते हैं कि अभी यह सवाल नहीं है कि यह वैक्सीन कारगर होगी या नहीं, बल्कि चिंता इस बात पर है कि इसके परीक्षण का एक महत्वपूर्ण चरण छोड़ दिया गया है।

विश्व के तमाम देशों को रूसी वैक्सीन से उम्मीदें और आशंकाएं हैं। आखिर रूस इतनी जल्दबाजी क्यों दिखा रहा है? ऐसी ही जल्दबाजी चीन भी दिखा रहा है? ऐसा नहीं कि जल्दी बाजार में आने से किसी देश को ज्यादा आर्थिक लाभ मिल जाएगा। अंततः सफल वही वैक्सीन होगी, जिसकी साख सबसे ज्यादा होगी। और लगता है कि अब वह समय आ रहा है, जब तीसरे चरण को पार करके सफल होने वैक्सीन की घोषणा भी हो जाए। अगले दो-तीन महीने इस लिहाज से महत्वपूर्ण हैं।