Thursday, March 31, 2011

क्रिकेट का संग्राम

भारत-पाकिस्तान के बीच विश्व कप सेमी फाइनल मैच मुझे खेल के लिहाज से शानदार नहीं लगा। पाकिस्तानी खिलाड़ियों ने सचिन के चार-चार कैच गिराए और उसकी सेंचुरी फिर भी नहीं बनी। शुरू में वीरेन्द्र सहवाग ने एक ओवर में पाँच चौके मारकर अच्छी शुरुआत की, पर चले वे भी नहीं। पूरे मैच में रोमांच स्टेडियम से ज्यादा घरों के ड्रॉइंग रूमों, रेस्तराओं और मीडिया दफ्तरों में ही था। इतना जरूर लगता है कि भारतीय मीडिया, खासतौर से हिन्दी मीडिया के पास युद्ध के अलावा दूसरा रूपक नहीं है। 




बहरहाल आज मुझे अखबारों में ध्यान देने लायक जो लगा सो पेश है।  

पाकिस्तानी अखबार डॉन के पहले सफे पर क्रिकेट की खबर का शीर्षक



Dropped catches, scratchy shots 
and Misbah’s ‘Test innings’ 
blamed for defeat 
Cricket mania evaporates 
after anti-climax

Wednesday, March 30, 2011

अरब देशों में जनाक्रोश है, लोकतांत्रिक संस्थाएं नहीं


मगरिब से उठा जम्हूरी-तूफान

मिस्र का राष्ट्रीय आंदोलन भारतीय आंदोलन के लगभग समानांतर ही चला था। अंग्रेज हुकूमत के अधीन वह भारत के मुकाबले काफी देर से आया और काफी कम समय तक रहा। सन 1923 में यह संवैधानिक राजतंत्र बन गया था। उस वक्त वहाँ की वाफदा पार्टी जनाकांक्षाओं को व्यक्त करती थी। सन 1928 में अल-इखवान अल-मुस्लिमीन यानी मुस्लिम ब्रदरहुड की स्थापना हो गई थी। पाबंदी के बावजूद यह देश की सबसे संगठित पार्टी है। सन 1936 में एंग्लो-इजिप्ट ट्रीटी के बाद से मिस्र लगभग स्वतंत्र देश बन गया, फिर भी वहाँ लोकतांत्रिक संस्थाओं का विकास नहीं हो पाया है। दूसरे विश्वयुद्ध में यह इलाका लड़ाई का महत्वपूर्ण केन्द्र था। 1952-53 में फौजी बगावत के बाद यहाँ का संवैधानिक राजतंत्र खत्म हो गया और 1953 में मिस्र गणराज्य बन गया।

Tuesday, March 29, 2011

क्रिकेट डिप्लोमेसी



भारत और पाकिस्तान को आसमान से देखें तो ऊँचे पहाड़, गहरी वादियाँ, समतल मैदान और गरजती नदियाँ दिखाई देंगी। दोनों के रिश्ते भी ऐसे ही हैं। उठते-गिरते और बनते-बिगड़ते। सन 1988 में दोनों देशों ने एक-दूसरे पर हमले न करने का समझौता किया और 1989 में कश्मीर में पाकिस्तान-परस्त आतंकवादी हिंसा शुरू हो गई। 1998 में दोनों देशों ने एटमी धमाके किए और उस साल के अंत में वाजपेयी जी और नवाज शरीफ का संवाद शुरू हो गया, जिसकी परिणति फरवरी 1999 की लाहौर बस यात्रा के रूप में हुई। लाहौर के नागरिकों से अटल जी ने अपने टीवी संबोधन में कहा था, यह बस लोहे और इस्पात की नहीं है, जज्बात की है। बहुत हो गया, अब हमें खून बहाना बंद करना चाहिए। भारत और पाकिस्तान के बीच जज्बात और खून का रिश्ता है। कभी बहता है तो कभी गले से लिपट जाता है।

Monday, March 28, 2011

कॉरपोरेट दलाली और इस दलाली में क्या फर्क है?

चूंकि बड़ी संख्या में पत्रकारों को कॉरपोरेट या राजनैतिक दलाली में कुछ गलत नहीं लगता, इसलिए जीवन के बाकी क्षेत्रों में भी दलाली सम्मानजनक कर्म का रूप ले ले तो आश्चर्य नहीं। अमेरिका के एक पुरस्कृत खेल पत्रकार ने वेश्यावृत्ति की दलाली का काम इसलिए शुरू किया कि उसके संस्थान ने उसका वेतन कम कर दिया था। अखबारों की गिरती आमदनी के कारण उसका वेतन कम किया गया था। 

अमेरिका के मैनचेस्टर, न्यू हैम्पशर के केविन प्रोवेंचर को सेलम, मैसाच्यूसेट्स की एक अदालत ने ढाई साल की कैद की सजा दी है। ये सज्जन न्यू हैम्पशर और मैसाच्यूसेट्स में वेश्यावृत्ति का कारोबार चलाते थे। इन्होंने अपना अपराध स्वीकार करते हुए कहा, डाउनटर्न के कारण अखबार ने मेरा वेतन कम कर दिया था। उसकी भरपाई के लिए यह काम कर रहा था। इस पत्रकार को न्यू हैम्पशर के सर्वश्रेष्ठ स्पोर्ट्स राइटर का पुरस्कार चार बार मिल चुका है।

Friday, March 25, 2011

नाच सही या आँगन टेढ़ा



सन 1957 के आम चुनाव राष्ट्रीय-पुनर्गठन के बाद हुए थे। केरल का जन्म भी उसी दौरान हुआ था। उस प्रदेश की विधानसभा का वह पहला चुनाव था। प्रदेश की 126 सीटों में से कम्युनिस्ट पार्टी 60 में जीती। कांग्रेस को 43, प्रजा समाजवादी पार्टी को 9 और निर्दलीय उम्मीदवारों को 15 सीटें मिलीं। पाँच निर्दलीय उम्मीदवारों की मदद से ईएमएस नम्बूदरीपाद के नेतृत्व में दुनिया की पहली लोकतांत्रिक पद्धति से चुनी गई कम्युनिस्ट सरकार सामने आई। कांग्रेस पार्टी इस अपमान को सहन नहीं कर पाई और बहुत जल्द इस सरकार को बर्खास्त कर दिया गया। सरकार रही न रही, पर उसका बनना एक महत्वपूर्ण घटना थी। देश के आकाश पर लाल झंडा इसके बाद कई बार लहराया। खासतौर से बंगाल में 34 साल तक सरकार चलाकर वामपंथियों ने दूसरे किस्म का रिकॉर्ड बनाया, जो भारतीय राजनीति में ही नहीं दुनिया की राजनीति में अतुलनीय है।