tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post8013908356079135370..comments2024-03-19T11:38:51.284+05:30Comments on जिज्ञासा: नाच सही या आँगन टेढ़ाPramod Joshihttp://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comBlogger4125tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-38578536616730302662011-03-26T13:15:27.450+05:302011-03-26T13:15:27.450+05:30जनता के साथ रहना ही ज्यादा जरूरी है.जनता के साथ रहना ही ज्यादा जरूरी है.Anonymoushttps://www.blogger.com/profile/13342084356954166189noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-35438127897902276622011-03-25T22:44:33.155+05:302011-03-25T22:44:33.155+05:30देखिये, कम्युनिस्ट पार्टी जिस विचारधारा को मानकर ...देखिये, कम्युनिस्ट पार्टी जिस विचारधारा को मानकर चले थे सही मायने में सामाजिक समस्याओं का वास्तविक हल वहीँ से निकल सकता था| असमानता,पूंजीवाद और सामंतवाद और ये तमाम शब्द जो कहीं ना कहीं समाज को अराजकता जैसी स्थिति की ओर ले जाने का प्रयास कर रहे हैं, इसका भी तोड़ मार्क्सवादी विचारधारा हो सकती थी| लेकिन भारत की कम्युनिस्ट पार्टी अब तथाकथित कम्युनिस्ट पार्टी बन गयी है| इन्होने विचारधारा को भी बाँट दिया है| CPI से CPM फिर CPIML और ना जाने कितनी पार्टी सिर्फ़ पश्चिम बंगाल में मार्क्सवादी विचारधारा को लेकर चल रही है} दरअसल क्रांति का इनका मकसद पीछे छूट गया है और फिर क्रांति भी किसके खिलाफ करेंगे इन्हें खुद नहीं पता|<br />आज अगर पश्चिम बंगाल में ३४ साल कम्युनिस्ट शासन रहा तो इसके पीछे वहाँ रह रहे बुद्धिजीवी वर्ग, शिक्षाविद और समाज में उच्च स्थान रखने वाले लोगों के समर्थन ने बहुत बड़ी भूमिका अदा की| कम्युनिस्टों के गढ़ से आज अगर उनकी सत्ता पर खतरा मंडरा रहा है इसके लिए वे पार्टियां ही जिम्मेदार हैं| हालाँकि सच तो यह भी है मार्क्सवाद का नकाब पहनकर हकीकत में इन लोगों ने पूंजीवाद की सेवा की है|जिसके खिलाफ इन्होने आंदोलन छेड़ रख था| दूसरी बात यह भी है कि ममता बनर्जी को छोड़कर कोई विकल्प नहीं है, वापस सी पी एम् को लाया नहीं जा सकता|हालाँकि बंगाल में अभी भी सच्चे कम्युनिस्ट हैं,लोग कम्युनिस्ट पार्टी की इज्ज़त करते हैं लेकिन नीतियों से खफ़ा हैं| राजनीति के इस खेल में कोई बहुत बड़ी उलटफेर हो जाये इससे भी इनकार नही किया जा सकता, लेकिन हालात लाल झंडे की विदाई तय बता रहे हैं| और यह ज़रुरी भी है|News And Insightshttps://www.blogger.com/profile/02530480097979739898noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-39091346968593085482011-03-25T19:37:46.210+05:302011-03-25T19:37:46.210+05:30वस्तुतः कम्युनिस्टों ने स्टालिन आदि की अवहेलना करक...वस्तुतः कम्युनिस्टों ने स्टालिन आदि की अवहेलना करके भारत में यहाँ के हिसाब से संगठन नहीं बनाया उसी का खाम्याजा बार-बार की टूटन में सामने आया.इन पार्टियों ने धर्म को सिरे से ही खारिज करके फासिस्टों के लिए खुली लूट का मैदान छोड़ दिया. भारतीय वांग्मय में धर्म की सही व्याख्या जैसी महर्षि स्वामी दयानंद ने की है ,यदि ये पार्टीयां जनता के पास जाएँ तो आज भी कामयाब हो जायेंगीं.स्वामी सहजानंद सरस्वती,गेंदा लाल दीक्षित आदि क्रांतिकारी आर्य समाजी होते हुए कम्यूनिस्ट भी थे.गरीबों के मसीहा हो कर भी स्वामी विवेकानंद का दुरूपयोग फासिस्ट कर रहे हैं और जिनके वह निकट हैं वे कम्यूनिस्ट उनसे दूर हैं.सही चेतना बोद्ध हो जाए तो आपको ऐसी चिंता न करनी पड़े.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-80722876183595580652011-03-25T18:01:47.165+05:302011-03-25T18:01:47.165+05:30CPM and Indian communists has really lead some big...CPM and Indian communists has really lead some big struggles against injustice and for peoples rights. Even many of communists has sacrificed their lives for peoples. But in recent time and specially after 1992, when new reforms has started, communists get fail to change according the new challenges.<br /> But we should hope that defeat in Bengal and Kerala ( if it happen) will give a new hit on communists to think and change their strategy according new circumstances.Dr. Ravindra S. Mannhttps://www.blogger.com/profile/12241222638470421154noreply@blogger.com