tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post537473365146568891..comments2024-03-19T11:38:51.284+05:30Comments on जिज्ञासा: वेंटीलेटर पर लोकतंत्रPramod Joshihttp://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comBlogger7125tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-14426040283197961202013-08-04T12:31:43.032+05:302013-08-04T12:31:43.032+05:30सही है . लोकतंत्र मे भ्रष्टाचार का कारण सामाजिक प्...सही है . लोकतंत्र मे भ्रष्टाचार का कारण सामाजिक प्रवत्तियाँ और तरह तरह के चुनाव है कितना धन अपव्यय<br />हो रहा है इसका आकलन नहीं हो सकता है जनप्रतिनिधियो के चुनाव लड़ने हेतु धन खर्च करने की सीमा <br />जितनी अधिक होगी शायद यह और बढे ,हमे चुनाव सुधारो पर ध्यान देना चाहिये । कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-81158100902611937592013-08-04T12:28:36.127+05:302013-08-04T12:28:36.127+05:30सही है . लोकतंत्र मे भ्रष्टाचार का कारण सामाजिक प्...सही है . लोकतंत्र मे भ्रष्टाचार का कारण सामाजिक प्रवत्तियाँ और तरह तरह के चुनाव है कितना धन अपव्यय<br />हो रहा है इसका आकलन नहीं हो सकता है जनप्रतिनिधियो के चुनाव लड़ने हेतु धन खर्च करने की सीमा <br />जितनी अधिक होगी शायद यह और बढे ,हमे चुनाव सुधारो पर ध्यान देना चाहिये ।<br /> चुनाव सुधार पर हिन्दुस्तान दिल्ली दिनाँक २१ जनवरी १९९६ मे प्रकाशित मेरा लेख "थकी शिराओं मे अवरूद्ध लोकतँत्र " देखें।चुनाव सुधारो की दिशा लोकत्रातिक हो।कबीर कुटी - कमलेश कुमार दीवानhttps://www.blogger.com/profile/15885065966350572216noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-49850764665493725692013-08-04T11:45:56.968+05:302013-08-04T11:45:56.968+05:30पैदाइश के दिन से मौत की जद में हैं
इस मक्त्ल में...पैदाइश के दिन से मौत की जद में हैं <br /><br />इस मक्त्ल में कौन हमें ले आया है Dr. Ravindra S. Mannhttps://www.blogger.com/profile/12241222638470421154noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-6515347354048460432013-08-04T11:04:59.169+05:302013-08-04T11:04:59.169+05:30हम छद्म लोकतंत्र में जी रहे हैं जो केवल लोकतंत्र क...हम छद्म लोकतंत्र में जी रहे हैं जो केवल लोकतंत्र का आभास ही देता है !!पूरण खण्डेलवालhttps://www.blogger.com/profile/04860147209904796304noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-38143363492546991242013-08-04T10:57:20.307+05:302013-08-04T10:57:20.307+05:30अमित क्या ापको नहीं लगता कि पिछले पाँच साल में जनत...अमित क्या ापको नहीं लगता कि पिछले पाँच साल में जनता की जागरूकता में बदलाव आया है। आखिर सरकारें और सरकारी मशीनरी दबाव में है। हाँ, जनता का दबाव अराजक और अनियंत्रित न हो इसे देखने की जरूरत भी है। Pramod Joshihttps://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-45722346509316214352013-08-04T09:35:33.700+05:302013-08-04T09:35:33.700+05:30लेकिन सर घूम-फिर कर बात तो जनता पर ही आजाती है जो ...लेकिन सर घूम-फिर कर बात तो जनता पर ही आजाती है जो 'ऐसे माननीयों' को संसद/विधानसभाओं के योग्य बनती है। जन को जागरूक होने में तो 500 साल भी कम पड़ जाएं।अमित/Амит/অমিত/Amithttps://www.blogger.com/profile/08928179569667303541noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-57813466783448053262013-08-04T08:30:19.970+05:302013-08-04T08:30:19.970+05:30यह सब देख कर भगवान पर विश्वास आ जाना स्वाभाविक है,...यह सब देख कर भगवान पर विश्वास आ जाना स्वाभाविक है, देश फिर भी उसी के सहारे ही चल रहा है।प्रवीण पाण्डेयhttps://www.blogger.com/profile/10471375466909386690noreply@blogger.com