tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post4575162356548514202..comments2024-03-19T11:38:51.284+05:30Comments on जिज्ञासा: अरुणा शानबागPramod Joshihttp://www.blogger.com/profile/01032625006857457609noreply@blogger.comBlogger3125tag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-42810174259838395142011-03-11T22:35:34.703+05:302011-03-11T22:35:34.703+05:30http://satish-saxena.blogspot.com/2011/03/blog-pos...http://satish-saxena.blogspot.com/2011/03/blog-post_11.htmlSatish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-60033346612167147472011-03-11T11:37:09.160+05:302011-03-11T11:37:09.160+05:30अरुणा शानबाग पर, गिरिजेश कुमार का यह लेख प्रसंशनीय...<b>अरुणा शानबाग पर, गिरिजेश कुमार का यह लेख प्रसंशनीय है अतः आपका आभार !<br /><br />ऐसे मार्मिक मौकों पर, समाज और पाठकों की, इसी प्रकार की प्रतिक्रिया के बाद इतिश्री हो जाती है ! मीडिया की सफलता, लेख के सफल प्रदर्शन और प्रभाव पर निर्भर करती है और हम पाठक अक्सर तालियाँ बजा कर लेख का स्वागत करते हैं !<br /><br />इसके बाद दर्शक गण, मदारी की तारीफ़ करते अपने घर जाते हैं और मदारी किसी नए खेल और जमूरे के साथ किसी और भीड़ भरी जगह की तलाश में !<br /><br />अरुणा का इलाज़ एलोपैथिक सिस्टम में संभव नहीं है , <br />मगर क्या आदिमकाल से मानव, पूरे विश्व में सिर्फ एलोपैथिक सिस्टम से इलाज़ करवाता आया है ? <br />क्या यह विज्ञानं व्यवस्था हमें एलोपैथिक सिस्टम के सामने घुटने टेकने के लिए मजबूर नहीं करती ?? शक्तिशाली प्रचार तंत्र के होते , बंद दिमाग लेकर चलते और जीते हम लोग, एलोपैथिक सिस्टम के आगे और कुछ सोंच ही नहीं पाते ! <br /><br />एलोपैथी को छोड़ अगर हम वैकल्पिक चिकित्सा पर ध्यान दें तो अरुणा को कोमा से बाहल लाया जा सकता है ! होमिओपैथी एवं विश्व की अन्य कई ऐसी विधियाँ हैं जो मृत प्राय लोगों को जिलाने की शक्ति रखती हैं ! <br />अगर हो सके तो अरुणा के मित्र अथवा उसको मदद करते संगठन का पता लगा कर , उससे जुड़ने का प्रयत्न करें तो अभी भी कुछ हो सकता है ! </b>Satish Saxena https://www.blogger.com/profile/03993727586056700899noreply@blogger.comtag:blogger.com,1999:blog-9736359.post-22206027551910792382011-03-09T14:25:19.216+05:302011-03-09T14:25:19.216+05:30संस्कृत के जिस श्लोक का उल्लेख किया है वह हमारी अर...संस्कृत के जिस श्लोक का उल्लेख किया है वह हमारी अर्वाचीन संस्कृति का है जिसे अब भुला कर गुलाम-भारत की पौराणिक संस्कृति चला दी गयी है.और उसमें मर्यादाओं को तोड़-मरोड़ दिया गया है.आज की सारी खुराफात की जड़ यही पौराणिक वाद है.vijai Rajbali Mathurhttps://www.blogger.com/profile/01335627132462519429noreply@blogger.com